मिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्मों में शामिल सूर्यवंशम की सबसे बड़ी पहचान
इसे चैनल पर बार-बार दिखाया जाना बन गई है. इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई
बार ट्रोल भी किया जाता है. सोमवार को फिल्म ने 21 साल पूरे किए हैं. सवाल
यही उठता है कि आखिर सूर्यवंशम फिल्म में ऐसा क्या है कि इसे हर
दूसरे-तीसरे दिन दिखाया जाता है.
इसके दो कारण सामने आए हैं. पहला यह कि जिस साल फिल्म रिलीज हुई थी, उसी
साल मैक्स चैनल को लॉन्च किया गया था. दोनों को एक जैसा समय इंडस्ट्री में
होता जा रहा है. इसलिए चैनल के अधिकारियों का फिल्म से भावनात्मक लगाव
है. दूसरी वजह है कि चैनल ने इस फिल्म के अधिकार 100 सालों के लिए खरीदे
हैं. इसलिए इसे कभी भी दिखाने पर किसी तरह की कोई रोक-टोक नहीं है.
तीसरा यह भी कहा जा सकता है कि फिल्म को बेहद सराहा जाता है. अमिताभ
बच्चन ने इसमें बेहतरीन अदाकारी की थी. कहानी से लेकर इसकी एडिटिंग और
म्यूजिक तक दिलचस्प है.
बता दें कि फिल्म की मुख्य अभिनेत्री सौंदर्या रघु का निधन हो गया है.
17 अप्रैल, 2004 को बेंगलुरु के पास एक प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी.
डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ने साल में फिल्म फिल्मिस्तान डायरेक्ट
की, जिसे बहुत सराहा गया. फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म के नेशनल अवार्ड से
भी सम्मानित किया गया. इसके बाद नितिन ने कुछ और फिल्में डायरेक्ट की,
जिनका नाम रामसिंह चार्ली और मित्रों है. मित्रों साल 2016 में आई तेलुगु
फिल्म पेली छुपूलू का हिंदी वर्जन है. फिल्म के ट्रेलर को काफी सराहा गया
है. पढ़िए समीक्षा.
कहानी:
फिल्म की कहानी गुजरात के रहने वाले जय (जैकी भगनानी) की है, इसने
इंजीनियरिंग की है, लेकिन पूरे दिन घर में बैठकर अजीब हरकतें करता है,
जिसकी वजह से जय के घरवालों को लगता है कि जब उसकी शादी हो जाएगी तो वह
जिम्मेदारियों पर ध्यान देने लगेगा और इसी चक्कर में जय के घरवाले अवनी
(कृतिका कामरा) से उसकी शादी की बात करते हैं. रिश्ता लेकर उनके घर पहुंच
जाते हैं. जय के साथ उसके दोनों दोस्त (प्रतीक गांधी और शिवम पारेख) हमेशा
उसके साथ रहते हैं. अवनी के साथ मुलाकात के बाद कहानी में बहुत सारे मोड़
आते हैं और अंततः एक रिजल्ट आता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी
पड़ेगी.
क्यों देख सकते हैं:
फिल्म की कहानी अच्छी है और स्क्रीनप्ले भी बढ़िया लिखा गया है. खास तौर
पर फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी दिलचस्प है और सेकंड हाफ में कहानी में थोड़ा
ठहराव आता है. फिल्मी गुजरात के फ्लेवर और वहां की जगहों को बड़े अच्छे
तरीके से डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ने दर्शाया है जिसकी वजह से विजुअल ट्रीट
बढ़िया है. फिल्म का कोई भी किरदार लाउड नहीं है जो कि अच्छी बात है. फिल्म
का संवाद, डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी अच्छा है. कई सारे ऐसे पल भी आते हैं
जिनसे एक आम इंसान और मिडिल क्लास फैमिली कनेक्ट कर सकती है. जैकी भगनानी एक तरह से अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय में दिखाई देते हैं वही फिल्मों में डेब्यू करती हुई कृतिका कामरा ने
किरदार के हिसाब से बढ़िया काम किया है. नीरज सूद, प्रतीक गांधी, शिवम
पारेख और बाकी किरदारों का काम सहज है. फिल्म के गाने कहानी के साथ-साथ
चलते हैं और बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया है. आतिफ असलम का गाया हुआ गाना
चलते चलते और सोनू निगम का गाना भी कर्णप्रिय है, वह रिलीज से पहले कमरिया
वाला गीत ट्रेंड में है जो कि देखने में भी अच्छा लगता है. एक तरह से
फिल्में कहानी के साथ-साथ ड्रामा इमोशन गाने और हंसी मजाक का फ्लेवर है जो
इसे संपूर्ण फिल्म बनाता है.
कमज़ोर कड़ियां:
फिल्म की कमजोर कड़ी इसका सेकंड हाफ है जो कि थोड़ा धीमे चलता है इसे दुरुस्त किया जाता तो फिल्म और भी क्रिस्प हो सकती थी. कुछ ऐसी भी जगह है
जहां कॉमेडी पंच बहुत जल्दी से आते हैं और निकल जाते हैं जिसकी वजह से शायद
वह हंसी का पल हर एक दर्शक को समझ में भी ना आए.
बॉक्स ऑफिस :
फिल्म की अच्छी बात यह है कि इस का बजट कम है और इसे रिलीज भी अच्छे
पैमाने पर किया जा रहा है. ट्रेलर से जिन्होंने इस फिल्म को देखने का मन
बना रखा है वह बिल्कुल भी निराश नहीं होंगे और वर्ड ऑफ माउथ से यह फिल्म
अच्छा मकाम हासिल कर सकती है.
Monday, September 17, 2018
Friday, September 14, 2018
水利发电开发商涉嫌碳交易作弊
今日巴厘岛会议一项研究显示,水利发电项目开发商增加了向大气排放的二氧化碳水平,并在全球碳交易中作弊。
一个美国的非政府组织“国际河流”说,联合国的“清洁发展机制”( )正资助水坝项目(其中绝大多数在中国), 但这些水坝的修建与碳排放指标的产生无关,这就违反了该机制的基本原则。该会议报告的撰写人芭芭拉•哈雅说道:“‘清洁发展机制’正盲目资助破坏河流的行为,该机制帮助下的水坝摧毁了‘清洁发展机制’的环保原则。”
该报告指出中国的402个大型水电项目正申请纳入“清洁发展机制”。然而,证据显示,由于水利发电开发商已开始从谈机制中获利,中国在建的水利发电项目总数上没有明显的上升。
哈雅说:“应用于支持发展中国家减少碳排放的资金正流入水利发电开发商们的保险箱,而这样的最终结果是造成了碳排放量的增加。” 英国国际发展部部长 说,如果全球森林遭破坏的状况不得到扭转,全球变暖将无法得到抑制,欧洲也将不能完成它的减排目标。
数据表明,森林砍伐造成了20%的二氧化碳的排放。
s呼吁,在即将举行的巴厘岛国际会议上,各国将协商达成的气候变化协定中应包括有对森林保护而采取的措施。独立日报》引据英国财政部首席经济学家尼古拉斯•斯特恩爵士报道说,全球暖化的速度比《斯特恩环境经济报告》预估的更快。 斯特恩议员同时为下个星期将在巴厘岛召开的全球领导人气候会议拟定了一份行动计划。
据报道斯特恩议员说,《斯特恩环境经济报告》对一系列科学假说中的各项因素持过保守的态度, 如今越来越多的证据证明这些严峻的因素正加速全球暖化进程。
他说:“不作为或推迟行动的严重后果已证据确凿。我们面临的危险程度超过了上个世纪的两次世界大战。”
“如果我重做报告,我将指出更大的危险性。”法新社》周四引据中国一位官员报道说, 中国在提高能源利用效率、减少污染排放方面取得了进步。 报道引据中国国家发展和改革委员会副主任谢振华说:“节能和减排工作的成效开始显现出来了。”
他补充道:“但是情况仍然很严峻••••••我们还没有完全达成目标,而且如果这个趋势未得到扭转,我们目标的实现将受到很大的影响。”
亚洲发展银行周四在一报道中指出,水资源管理不善使得亚洲发展中国家在今后10年将面临“前所未有”的水危机。
该报告说,气候变化,快速工业发展和人口增长对水资源的影响而带来的健康和社会问题将导致每年几十亿美元的耗费。s在报告中警告说, 如果目前令人不满的趋势继续下去,亚洲的发展中国家在未来10到20年内将遭遇人类历史上空前的水质管理危机。路透社》周四引据欧洲投资银行行长报道说,该行希望其帮助中国应对气候变化的贷款将产生“示例效果”,刺激开展更多的环保项目。 本周在北京召开的欧盟-中国会议签署了总额为五亿欧元(七亿四千三百万美元)的贷款协议。该协议下双方承诺展开关于气候变化及中国货币价值等议题的对话。
欧洲投资银行行长菲利浦·马斯塔德表示:“这是经济援助,但是这也能起到示例效果。”
他补充道:“如果我们能展示此类项目能真正运作,并的确能在二氧化碳减排上产生有意思的结果,我认为那将很有帮助。”
Tuesday, September 11, 2018
भारत से बच्चा गोद लेने वाले इस कार्यक्रम के दोबारा शुरू
भारत से बच्चा गोद लेने वाले इस कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने का
फ़ायदा ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को भी मिलने की
उम्मीद है.
42 साल की जॉयलक्ष्मी और उनके पति मंजीत सिंह सैनी ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहते हैं. जॉयलक्ष्मी और मंजीत पिछले 8 साल से इस कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं.
जॉयलक्ष्मी को साल 2008 में एंडोमीट्रियोसिस ऑपरेशन करवाना पड़ा था, इसी वजह से वो अब गर्भधारण नहीं कर सकतीं.
जॉयलक्ष्मी कहती हैं कि वे फ़िलहाल यह सोच रही हैं कि ऑस्ट्रेलिया में ही स्थानीय जगह से बच्चा गोद लें या फिर भारत के साथ शुरू होने वाले अडॉप्शन कार्यक्रम के तहत भारतीय बच्चे को गोद लें. sex
जॉयलक्ष्मी ने मां बनने के लिए सरोगेसी का रास्ता भी अपनाया लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाईं.
जॉयलक्ष्मी कहती हैं, ''हमारे लिए बच्चा गोद लेना ही आख़िरी रास्ता है, साल 2010 में हम भारत से दो बच्चों को गोद लेना चाहते थे लेकिन फिर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंटरकंट्री अडॉप्शन प्रोग्राम रोक दिया गया.''
मैरी जोन्स (बदला हुआ नाम) एक सिंगल मदर हैं. वे क्वींसलैंड के एक दूरस्त इलाक़े में रहती हैं.
अडॉप्शन कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने पर मैरी कहती हैं, ''यह बहुत ही अच्छी ख़बर है लेकिन अभी हमें इसके शुरू होने का इंतज़ार करना होगा. मेरा 9 साल का बेटा है, वह यहां खुद को बहुत ही अकेला महसूस करता है, इसीलिए मैं भारत की एक लड़की को पिछले चार साल से गोद लेने पर विचार कर रही हूं.''
मैरी अपने पति के साथ भारत से न्यूज़ीलैंड आ गई थीं. पांच साल पहले वे अपने पति से अलग होकर ऑस्ट्रेलिया चली गईं.
मैरी एक नर्स हैं और जब वे भारत में थीं तो उन्होंने बेंगलुरू के एक अनाथालय में बच्चों की दुर्दशा देखी थी. वे चाहती थी कि कम से कम एक भारतीय बच्चे को गोद लेकर उसे अच्छी ज़िंदगी दें.
अडॉप्ट चेंज नामक एक ग़ैरलाभकारी संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेनी कार्टर कहती हैं कि अनाथालयों में रहने वाले बच्चों के साथ दुर्वय्वहार होने के कई सबूत मिले हैं.
रेनी कार्टर इस बारे में विस्तार से बताती हैं, ''बच्चा गोद देने के मामले में सबसे पहले यही कोशिश होती है कि उसे देश के भीतर ही किसी परिवार को गोद दिया जाए, हालांकि अगर किसी बच्चे को दूसरे देश के परिवार में गोद दिया जा रहा है तो यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि यह पूरी प्रक्रिया सुरक्षित, पारदर्शी और सही तरीके से हो जिससे बच्चे को अच्छा माहौल और परिवार मिल सके.
एआईएचडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016-17 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में सभी 69 हुए इंटर-कंट्री अडॉप्शन एशिया के देशों से ही हुए. इन देशों में ताइवान से सबसे ज़्यादा हुए, इसके अलावा फिलिपींस, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड से भी बच्चों को गोद लिया गया.यारह सितंबर 1893 को शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में विवेकानंद के भाषण की याद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी शिकागो में ही आठ सितंबर को एक भाषण दिया है.
11 सितंबर की जगह आठ सितंबर क्योंकि सप्ताहांत न हो तो काम छोड़कर अमरीका में भाषण सुनने लोग नहीं आते, और विश्व धर्म संसद की जगह विश्व हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया. आप मोहन भागवत के अंग्रेज़ी में दिए गए 41 मिनट का भाषण सुनेंगे तो आपको समझ में आएगा कि उन्होंने विवेकानंद से कोई प्रेरणा नहीं ली है.
पूरे भाषण के दौरान अमरीकी झंडा बैकग्राउंड में था, वहां न तो कोई भगवा ध्वज था, न ही तिरंगा.
बहरहाल, उन्होंने कई बातें कहीं जिन पर ग़ौर किया जाना चाहिए क्योंकि वो मामूली व्यक्ति नहीं हैं, संसार के सबसे बड़े एनजीओ के प्रमुख हैं जिसे भारत की मौजूदा सरकार अपनी प्रगति रिपोर्ट
मोहन भागवत ने कहा कि भारत में हमेशा से समस्त संसार का ज्ञान रहा है, भारत के आम लोग भी इन बातों को समझते हैं. इसके बाद उन्होंने एक दिलचस्प सवाल पूछा, "फिर क्या ग़लत हो गया, हम हज़ार साल से मुसीबत क्यों झेल रहे हैं?" इसका जवाब उन्होंने दिया कि ऐसा इसलिए हुआ कि 'हमने अपने आध्यात्मिक ज्ञान के मुताबिक जीना छोड़ दिया.'
ग़ौर करिए कि उन्होंने हज़ार साल की मुसीबत क्यों कहा? संघ का मानना है कि भारत के दुर्दिन अंग्रेज़ी राज से नहीं बल्कि मुसलमानों के हमलों से शुरू हुए, मुग़ल काल को भी वे मुसीबत का दौर मानते हैं.
दरअसल, ऐसे मौक़े याद नहीं आते जब संघ ने अंग्रेज़ी हुकूमत की आलोचना की हो, न अतीत में, न वर्तमान में. आलोचना के मामले में मुग़ल उनके प्रिय रहे हैं.
इसके बाद उन्होंने एक और दिलचस्प बात कही, "आज की तारीख़ में हिंदू समाज दुनिया का ऐसा समाज है जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी लोग सबसे अधिक संख्या में मौजूद हैं." न जाने उन्होंने यह निष्कर्ष किस आधार पर निकाला कि हिंदू, अपने हिंदू होने की वजह से यहूदियों, ईसाइयों या मुसलमानों से अधिक प्रतिभाशाली हैं?ह हिंदू गौरव को जगाने की उनकी कोशिश थी, इसके फ़ौरन बाद उन्होंने कहा कि हिंदू एकजुट होकर काम नहीं करते, यही उनकी सबसे बड़ी समस्या है. उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एकजुट होने के आह्वान पर हिंदू कहते रहे हैं कि "शेर कभी झुंड में नहीं चलते."
उन्होंने कहा, "जंगल का राजा, रॉयल बंगाल टाइगर भी अगर अकेला हो तो जंगली कुत्ते उसे घेरकर, हमला करके मार दे सकते हैं." उनके ऐसा कहते ही हॉल तालियों से गूंज उठा, उन्हें कहने-बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी कि वे जंगली कुत्ते किसको कह रहे हैं. ये वही कुत्ते हैं जिनके पिल्ले गाड़ी के नीचे आ जाएं तो प्रधानमंत्री मोदी जी को दुख होता है.
"हिंदू होने पर गर्व करना चाहिए", "हिंदू ख़तरे में हैं" और "हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए"... ये सब संघ का स्थायी भाव है. हिंदुओं को किससे ख़तरा है? हिंदुओं को किस लक्ष्य के लिए एकजुट होना चाहिए, किसके ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए, इन सवालों के जवाब इशारों में समझाए जाते हैं, चुनाव जैसी विकट स्थितियों में ही मंच से क़ब्रिस्तान-श्मशान कहना पड़ता है.
पेश करती है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा की 'मातृसंस्था' है.
42 साल की जॉयलक्ष्मी और उनके पति मंजीत सिंह सैनी ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रहते हैं. जॉयलक्ष्मी और मंजीत पिछले 8 साल से इस कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं.
जॉयलक्ष्मी को साल 2008 में एंडोमीट्रियोसिस ऑपरेशन करवाना पड़ा था, इसी वजह से वो अब गर्भधारण नहीं कर सकतीं.
जॉयलक्ष्मी कहती हैं कि वे फ़िलहाल यह सोच रही हैं कि ऑस्ट्रेलिया में ही स्थानीय जगह से बच्चा गोद लें या फिर भारत के साथ शुरू होने वाले अडॉप्शन कार्यक्रम के तहत भारतीय बच्चे को गोद लें. sex
जॉयलक्ष्मी ने मां बनने के लिए सरोगेसी का रास्ता भी अपनाया लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाईं.
जॉयलक्ष्मी कहती हैं, ''हमारे लिए बच्चा गोद लेना ही आख़िरी रास्ता है, साल 2010 में हम भारत से दो बच्चों को गोद लेना चाहते थे लेकिन फिर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इंटरकंट्री अडॉप्शन प्रोग्राम रोक दिया गया.''
मैरी जोन्स (बदला हुआ नाम) एक सिंगल मदर हैं. वे क्वींसलैंड के एक दूरस्त इलाक़े में रहती हैं.
अडॉप्शन कार्यक्रम के दोबारा शुरू होने पर मैरी कहती हैं, ''यह बहुत ही अच्छी ख़बर है लेकिन अभी हमें इसके शुरू होने का इंतज़ार करना होगा. मेरा 9 साल का बेटा है, वह यहां खुद को बहुत ही अकेला महसूस करता है, इसीलिए मैं भारत की एक लड़की को पिछले चार साल से गोद लेने पर विचार कर रही हूं.''
मैरी अपने पति के साथ भारत से न्यूज़ीलैंड आ गई थीं. पांच साल पहले वे अपने पति से अलग होकर ऑस्ट्रेलिया चली गईं.
मैरी एक नर्स हैं और जब वे भारत में थीं तो उन्होंने बेंगलुरू के एक अनाथालय में बच्चों की दुर्दशा देखी थी. वे चाहती थी कि कम से कम एक भारतीय बच्चे को गोद लेकर उसे अच्छी ज़िंदगी दें.
अडॉप्ट चेंज नामक एक ग़ैरलाभकारी संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेनी कार्टर कहती हैं कि अनाथालयों में रहने वाले बच्चों के साथ दुर्वय्वहार होने के कई सबूत मिले हैं.
रेनी कार्टर इस बारे में विस्तार से बताती हैं, ''बच्चा गोद देने के मामले में सबसे पहले यही कोशिश होती है कि उसे देश के भीतर ही किसी परिवार को गोद दिया जाए, हालांकि अगर किसी बच्चे को दूसरे देश के परिवार में गोद दिया जा रहा है तो यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि यह पूरी प्रक्रिया सुरक्षित, पारदर्शी और सही तरीके से हो जिससे बच्चे को अच्छा माहौल और परिवार मिल सके.
एआईएचडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016-17 के दौरान ऑस्ट्रेलिया में सभी 69 हुए इंटर-कंट्री अडॉप्शन एशिया के देशों से ही हुए. इन देशों में ताइवान से सबसे ज़्यादा हुए, इसके अलावा फिलिपींस, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड से भी बच्चों को गोद लिया गया.यारह सितंबर 1893 को शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में विवेकानंद के भाषण की याद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी शिकागो में ही आठ सितंबर को एक भाषण दिया है.
11 सितंबर की जगह आठ सितंबर क्योंकि सप्ताहांत न हो तो काम छोड़कर अमरीका में भाषण सुनने लोग नहीं आते, और विश्व धर्म संसद की जगह विश्व हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया. आप मोहन भागवत के अंग्रेज़ी में दिए गए 41 मिनट का भाषण सुनेंगे तो आपको समझ में आएगा कि उन्होंने विवेकानंद से कोई प्रेरणा नहीं ली है.
पूरे भाषण के दौरान अमरीकी झंडा बैकग्राउंड में था, वहां न तो कोई भगवा ध्वज था, न ही तिरंगा.
बहरहाल, उन्होंने कई बातें कहीं जिन पर ग़ौर किया जाना चाहिए क्योंकि वो मामूली व्यक्ति नहीं हैं, संसार के सबसे बड़े एनजीओ के प्रमुख हैं जिसे भारत की मौजूदा सरकार अपनी प्रगति रिपोर्ट
मोहन भागवत ने कहा कि भारत में हमेशा से समस्त संसार का ज्ञान रहा है, भारत के आम लोग भी इन बातों को समझते हैं. इसके बाद उन्होंने एक दिलचस्प सवाल पूछा, "फिर क्या ग़लत हो गया, हम हज़ार साल से मुसीबत क्यों झेल रहे हैं?" इसका जवाब उन्होंने दिया कि ऐसा इसलिए हुआ कि 'हमने अपने आध्यात्मिक ज्ञान के मुताबिक जीना छोड़ दिया.'
ग़ौर करिए कि उन्होंने हज़ार साल की मुसीबत क्यों कहा? संघ का मानना है कि भारत के दुर्दिन अंग्रेज़ी राज से नहीं बल्कि मुसलमानों के हमलों से शुरू हुए, मुग़ल काल को भी वे मुसीबत का दौर मानते हैं.
दरअसल, ऐसे मौक़े याद नहीं आते जब संघ ने अंग्रेज़ी हुकूमत की आलोचना की हो, न अतीत में, न वर्तमान में. आलोचना के मामले में मुग़ल उनके प्रिय रहे हैं.
इसके बाद उन्होंने एक और दिलचस्प बात कही, "आज की तारीख़ में हिंदू समाज दुनिया का ऐसा समाज है जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी लोग सबसे अधिक संख्या में मौजूद हैं." न जाने उन्होंने यह निष्कर्ष किस आधार पर निकाला कि हिंदू, अपने हिंदू होने की वजह से यहूदियों, ईसाइयों या मुसलमानों से अधिक प्रतिभाशाली हैं?ह हिंदू गौरव को जगाने की उनकी कोशिश थी, इसके फ़ौरन बाद उन्होंने कहा कि हिंदू एकजुट होकर काम नहीं करते, यही उनकी सबसे बड़ी समस्या है. उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि एकजुट होने के आह्वान पर हिंदू कहते रहे हैं कि "शेर कभी झुंड में नहीं चलते."
उन्होंने कहा, "जंगल का राजा, रॉयल बंगाल टाइगर भी अगर अकेला हो तो जंगली कुत्ते उसे घेरकर, हमला करके मार दे सकते हैं." उनके ऐसा कहते ही हॉल तालियों से गूंज उठा, उन्हें कहने-बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी कि वे जंगली कुत्ते किसको कह रहे हैं. ये वही कुत्ते हैं जिनके पिल्ले गाड़ी के नीचे आ जाएं तो प्रधानमंत्री मोदी जी को दुख होता है.
"हिंदू होने पर गर्व करना चाहिए", "हिंदू ख़तरे में हैं" और "हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए"... ये सब संघ का स्थायी भाव है. हिंदुओं को किससे ख़तरा है? हिंदुओं को किस लक्ष्य के लिए एकजुट होना चाहिए, किसके ख़िलाफ़ एकजुट होना चाहिए, इन सवालों के जवाब इशारों में समझाए जाते हैं, चुनाव जैसी विकट स्थितियों में ही मंच से क़ब्रिस्तान-श्मशान कहना पड़ता है.
पेश करती है क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा की 'मातृसंस्था' है.
Friday, September 7, 2018
अमरीकी विदेश और रक्षा मंत्री के दौरे से भारत को क्या हासिल होगा?
अमरीकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस और
विदेश मंत्री माइक पोम्पियो गुरुवार को भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं. वो
भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात
करेंगे.
बीबीसी संवाददाता विकास पांडेय बता रहे हैं कि यह वार्ता दोनों देशों के लिए क्यों अहम है.इस वार्ता को मीडिया में 2+2 डायलॉग कहा जा रहा है. अमरीका और भारत की यह बातचीत दोनों देशों के बीच हालिया तनाव के बाद हो रही है.
पहले ये मुलाकात अप्रैल में होनी तय हुई थी लेकिन तभी अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को पद से हटा दिया.
इसके बाद जुलाई में एक बार फिर यह बातचीत स्थगित हो गई और भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसके पीछे 'नज़रअंदाज' न की जा सकने वाली वजहें बताईं. लेकिन इसके बाद से काफ़ी कुछ बदल चुका है.
अमरीका ने भारत और रूस के बीच होने वाले रक्षा सौदे को लेकर चेतावनी दी है. इसके अलावा भारत को ईरान से तेल का आयात करने को लेकर भी आगाह किया है. फ़िलहाल अमरीका ने रूस और ईरान दोनों पर ही पाबंदियां लगा रखी हैं.
दूसरी तरफ़, ट्रंप ने जब प्रधानमंत्री मोदी के उच्चारण के लहजे का मज़ाक उड़ाया तो वो भारतीय राजनायिकों को पसंद नहीं आया. और भारतीय राजनयिक ट्रंप के अप्रत्याशित रवैये की वजह से थोड़े चौकन्ने भी रहते हैं.
जॉर्ज बुश और बराक ओबामा के शासनकाल में भी भारत और अमरीका के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते रहे हैं. हालांकि ट्रंप शासनकाल में दोनों देशों के रिश्तों के बारे में ऐसा कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी.कंट्रोल रिस्क्स कंसल्टेंसी' में असोसिएट डायरेक्टर (भारत और दक्षिण एशिया) प्रत्युष राव का मानना है कि भारत को बातचीत में 'सतर्क आशावाद' वाला रवैया अपनाने की ज़रूरत है.
प्रत्युष ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "भारत ने ओबामा और बुश प्रशासन में अमरीका की तरफ़ से कई सुविधाओं का लाभ उठाया है. ख़ास तौर से सिविल न्यूक्लियर डील और ईरान के साथ भारत को तेल के व्यापार की छूट. लेकिन अब भारत के सामने असली चुनौती होगी. चुनौती ये होगी कि वो व्यापारिक नीतियों में लगातार बदलाव लाने वाले ट्रंप प्रशासन के साथ ख़ुद को कैसे समायोजित करता है."
ये भी सच है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीका और भारत के सम्बन्धों को सुधारने के लिए काफ़ी कोशिशें की और वक़्त लगाया है. मोदी ने कई मौकों पर कहा था कि ओबामा उनके दोस्त हैं और उन्हें ओबामा के साथ काम करना पसंद है लेकिन अभी दुनिया के राजनातिक आयाम बदल गए हैं."
अमरीकी प्रशासन ने अपने हालिया फ़ैसलों से दुनिया को ये दिखा दिया है कि वो अप्रत्याशित फ़ैसले ले सकते हैं. फिर चाहे वो उत्तर कोरिया के साथ हाथ मिलाना हो, 2015 के पेरिस जलवायु समझौते से ख़ुद को अलग करना हो या ईरान के साथ परमाणु करार से क़दम पीछे खींचना हो.
प्रत्युष राव कहते हैं कि भारतीय राजनयिक अमरीका से बात करते वक़्त इन सभी चौंकाने वाले फ़ैसलों को ज़हन में रखेंगे.
रक्षा से सम्बन्धित हथियार और उपकरण खरीदने वाला भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है और रूस उसका सबसे बड़ा निर्यातक. सैन्य उपकरण या हथियार, इन सबका बड़ा हिस्सा भारत को रूस से मिलता है.
अमरीका इस समीकरण को बदलना चाहता है. पिछले पांच साल में अमरीका का भारत को निर्यात पांच बार से ज़्यादा मौकों पर बढ़ा है. ये बढ़ोतरी रक्षा उपकरणों और हथियारों के मामले में हुई है. इससे अमरीका के भारत को निर्यात किए जाने वाले रक्षा सौदों में 15 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.
वहीं दूसरी तरफ़, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में रूस से भारत के निर्यात में 62-79 फ़ीसदी की गिरावट आई है. हालांकि अतीत में झांका जाए तो अमरीका ने भारत के रूस से हथियार ख़रीदने पर ज़्यादा आपत्ति नहीं जताई है.
प्रत्युष राव कहते हैं, "अमरीका हमेशा से ये मानता रहा है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को सामरिक रूप से मज़बूत होने की ज़रूरत है. इसके लिए भले ही भारत को रूस से हथियार क्यों न ख़रीदने पड़े." लेकिन ट्रंप प्रशासन का रवैया इस मामले में पिछली अमरीकी सरकारों से अलग है.
अभी हाल ही में भारत को रूस से S-400 एयर डिफ़ेंस मिसाइलें खरीदनी थीं और भारत को उम्मीद थी कि अमरीका इस डील को आगे बढ़ाने की मंजूरी देगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
एक वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी ने कहा कि भारत को इस सौदे की छूट नहीं दी जा सकती. इसके साथ ही अमरीका ने भारत के रूस की उन कंपनियों के साथ करार का विरोध किया जिन पर उसने पाबंदियां लगा रखी हैं.
'एशियन एंड पैसिफ़िक सिक्योरिटी अफ़ेयर्स' के असिस्टेंट सेक्रेटरी (डिफ़ेंस) रैंडल स्राइवर ने कहा, "मैं यहां बैठकर आपको नहीं बता सकता कि भारत को छूट मिलेगी या नहीं. ये फ़ैसला अमरीकी राष्ट्रपति का होगा."
वहीं भारतीय राजनायिकों ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत, रूस के साथ की गई डील से पीछे नहीं हटेगा क्योंकि ये भारत के वायु रक्षा प्रणाली के लिए बहुत अहम है.
Tuesday, September 4, 2018
中国动保组织抗议美国西部牛仔来华表演
据了解,“美国西部牛仔竞技展演”是今年中美两国人文交流重要项目,中国动保组织认为,该项目充满暴力和谎言,决不能做为美国文化精粹到中国展示,并强调反对牛仔竞技展演来华计划并非针对美国,因为“毫无疑问,任何一个国家要将牛仔竞技带到中国来,必将破坏两国友好关系”。
不久之前,就在骆家辉以华裔身份上任驻华大使的前一天,美国驻华大使馆官方博客转发一篇美国国务院工作人员的文章,题为《如何正确看待牛仔竞技?》。该文作者Xiao为“ na美国西部牛仔竞技展演”主办方“叫屈”,声称“随着历史的进步,牛仔竞技活动组织对动物的保护越来越严格,相关法律法规也逐渐健全,可以说,在现代的牛仔竞技活动中,虐待动物的情况已经少见”,并引用《美国兽医医学协会杂志》( 2001年1月卷的报道,“在26584场牛仔竞技表演中,只有15头动物受伤,也就是说,每1772场竞技表演才有1头动物受伤,受伤比例为0.056%,这个受伤率可以说是十分低的。”
中国动保组织对该数据感到极其愤怒,因为没有理由相信《美国兽医医学协会杂志》能够拿到真实的基础数据计算牛仔动物受伤率。
在美国怀俄明州尚未结束的“夏安边疆节”牛仔竞技赛中,开赛仅到第三天(7月24日)时已造成了一匹4岁母马死亡,5只小牛和3只公牛受伤。中国动保组织认为:“我们不需要1772场牛仔竞技赛才能等到一个受伤动物,而这还是未完成的一场比赛统计。更不希望在中国创造新记录。”
另一个显而易见的理由是,同在2001年,一位名叫卡伦·查普曼( n)的撰稿人在《号外》(Extra)杂志中描绘了一匹马是如何在2001年牛仔竞技总决赛中死去的。“一匹14岁的名叫大草原的马在骑裸背马项目中背部断裂而死。在17000名观众面前,他被用动物担架抬出场外。尽管ESPN正在直播这场比赛,可是7秒钟的延迟播放让电视机前的观众对所发生的一切一无所知。在马倒下的一刹那镜头被切断,而解说员对这件事绝口不提。一个小时以后,马的尸体就被处理掉了。”
这也是中国动保组织认为美国牛仔竞技口碑拙劣的原因。ESPN美国体育网是美国职业牛仔协会PRCA的合作伙伴,PRCA负责人公开表示ESPN对播出什么没有决定权。从实际的播出效果来看,ESPN从不真实拍摄动物伤亡镜头。
令中国动保组织感到愤慨的是,“美国西部牛仔竞技展演”的美国主办方正是用ESPN式的镜头,向中国主办方展示他们是如何爱动物的。 网站,你仍可以看到镜头明显掩去了“套牛犊”项目中最残酷的扯倒(Jerk Down)一幕。
至于Xiao在文中提到的美国职业牛仔协会 制定的60条动物福利规定,无论是2001年还是正在发生的动物虐待和死伤事实,还有大量证据都能证明,这些所谓的动物福利规定毫无落实,不过是牛仔竞技行业给自己蒙上的遮羞布,丝毫不能改变牛仔竞技的残暴本质。
动保组织呼吁骆家辉,正确认识牛仔竞技,取消该项目来华计划,严格审查2011年中美人文交流项目,现在及未来不再向中国推销含带虐待动物或同等立场的文化,并能介绍真正符合仁爱之道的美国人文项精粹来中国,促进中美两国的友谊论报道,非洲之角发生了50年以来最为严重的干旱,世界粮食计划署准备空头食物。但是此项措施 ,却不能改变当地的经济及气候情况 ,进 而从根本上解决灾难。除了武装冲突及干旱以外 ,索马里的问题不仅包含了区域性的森林退化将近 摧毁当地传统的生物链,也包括 出租富饶的农业用地给外国的食品制造商,以及当地的农业机械和化肥商。
道,西方国家与俄国及发展中国家的关于 气候变化问题 发生争执,即气候变化是否 是一个值得联合国安理会进行关注安全问题 。在修订之前,安理会 中将气候变化弱 称为“可能的安全隐患”得到了一致同意。
道,菲律宾东北部遭到暴雨和洪水的袭击,致使近50万人家园被淹,至少25人遇难。 报道, 在韩国,由暴雨引发的的洪水及泥石流致使至少32人死亡 报道 ,孟加拉国南部的季风雨使超过1万人流离失所,至少6人遇难,也将孟加拉湾的虾场冲毁殆尽 。
道,侵袭美国东部及加拿大部分地区的热浪本周出现缓和迹象,破纪录的高温和湿度不但影响132万人,令部分地区旱情加剧,更造成多达34 人死亡。
的研究报告报道,本世纪末气侯变化预计会令美国的沿海地召区遭受到海水威胁,中西部地区及东部海岸遭受强烈风暴侵袭,而西部地区的水供应出现不稳定。
》报道,智力南部遭受了30年以来最为严重的降雪,在农村地区,降雪高达三米,严重破坏了当地的基本设施并且引发了国家级的安全预警。四天不停歇的降雪使约有 人无法与外界取得联系。
报道,老挝表示暂时没有计划恢复横跨湄公河的大坝,美国国务卿希拉里因此称赞老挝有先见之明。在一个会议上,她说:不管谁修建了大坝,你都能感觉到它给环境恶化带来的后果,以及影响粮食供应和社会安定。
据 道,美国政府批准了一项八年的试验项目,打算在蒙大拿州注入百万吨的二氧化碳到地下岩层。其目的是判断碳排放源,如燃煤电厂和水泥厂是否安全以及能否经济性的收集和储存。
不久之前,就在骆家辉以华裔身份上任驻华大使的前一天,美国驻华大使馆官方博客转发一篇美国国务院工作人员的文章,题为《如何正确看待牛仔竞技?》。该文作者Xiao为“ na美国西部牛仔竞技展演”主办方“叫屈”,声称“随着历史的进步,牛仔竞技活动组织对动物的保护越来越严格,相关法律法规也逐渐健全,可以说,在现代的牛仔竞技活动中,虐待动物的情况已经少见”,并引用《美国兽医医学协会杂志》( 2001年1月卷的报道,“在26584场牛仔竞技表演中,只有15头动物受伤,也就是说,每1772场竞技表演才有1头动物受伤,受伤比例为0.056%,这个受伤率可以说是十分低的。”
中国动保组织对该数据感到极其愤怒,因为没有理由相信《美国兽医医学协会杂志》能够拿到真实的基础数据计算牛仔动物受伤率。
在美国怀俄明州尚未结束的“夏安边疆节”牛仔竞技赛中,开赛仅到第三天(7月24日)时已造成了一匹4岁母马死亡,5只小牛和3只公牛受伤。中国动保组织认为:“我们不需要1772场牛仔竞技赛才能等到一个受伤动物,而这还是未完成的一场比赛统计。更不希望在中国创造新记录。”
另一个显而易见的理由是,同在2001年,一位名叫卡伦·查普曼( n)的撰稿人在《号外》(Extra)杂志中描绘了一匹马是如何在2001年牛仔竞技总决赛中死去的。“一匹14岁的名叫大草原的马在骑裸背马项目中背部断裂而死。在17000名观众面前,他被用动物担架抬出场外。尽管ESPN正在直播这场比赛,可是7秒钟的延迟播放让电视机前的观众对所发生的一切一无所知。在马倒下的一刹那镜头被切断,而解说员对这件事绝口不提。一个小时以后,马的尸体就被处理掉了。”
这也是中国动保组织认为美国牛仔竞技口碑拙劣的原因。ESPN美国体育网是美国职业牛仔协会PRCA的合作伙伴,PRCA负责人公开表示ESPN对播出什么没有决定权。从实际的播出效果来看,ESPN从不真实拍摄动物伤亡镜头。
令中国动保组织感到愤慨的是,“美国西部牛仔竞技展演”的美国主办方正是用ESPN式的镜头,向中国主办方展示他们是如何爱动物的。 网站,你仍可以看到镜头明显掩去了“套牛犊”项目中最残酷的扯倒(Jerk Down)一幕。
至于Xiao在文中提到的美国职业牛仔协会 制定的60条动物福利规定,无论是2001年还是正在发生的动物虐待和死伤事实,还有大量证据都能证明,这些所谓的动物福利规定毫无落实,不过是牛仔竞技行业给自己蒙上的遮羞布,丝毫不能改变牛仔竞技的残暴本质。
动保组织呼吁骆家辉,正确认识牛仔竞技,取消该项目来华计划,严格审查2011年中美人文交流项目,现在及未来不再向中国推销含带虐待动物或同等立场的文化,并能介绍真正符合仁爱之道的美国人文项精粹来中国,促进中美两国的友谊论报道,非洲之角发生了50年以来最为严重的干旱,世界粮食计划署准备空头食物。但是此项措施 ,却不能改变当地的经济及气候情况 ,进 而从根本上解决灾难。除了武装冲突及干旱以外 ,索马里的问题不仅包含了区域性的森林退化将近 摧毁当地传统的生物链,也包括 出租富饶的农业用地给外国的食品制造商,以及当地的农业机械和化肥商。
道,西方国家与俄国及发展中国家的关于 气候变化问题 发生争执,即气候变化是否 是一个值得联合国安理会进行关注安全问题 。在修订之前,安理会 中将气候变化弱 称为“可能的安全隐患”得到了一致同意。
道,菲律宾东北部遭到暴雨和洪水的袭击,致使近50万人家园被淹,至少25人遇难。 报道, 在韩国,由暴雨引发的的洪水及泥石流致使至少32人死亡 报道 ,孟加拉国南部的季风雨使超过1万人流离失所,至少6人遇难,也将孟加拉湾的虾场冲毁殆尽 。
道,侵袭美国东部及加拿大部分地区的热浪本周出现缓和迹象,破纪录的高温和湿度不但影响132万人,令部分地区旱情加剧,更造成多达34 人死亡。
的研究报告报道,本世纪末气侯变化预计会令美国的沿海地召区遭受到海水威胁,中西部地区及东部海岸遭受强烈风暴侵袭,而西部地区的水供应出现不稳定。
》报道,智力南部遭受了30年以来最为严重的降雪,在农村地区,降雪高达三米,严重破坏了当地的基本设施并且引发了国家级的安全预警。四天不停歇的降雪使约有 人无法与外界取得联系。
报道,老挝表示暂时没有计划恢复横跨湄公河的大坝,美国国务卿希拉里因此称赞老挝有先见之明。在一个会议上,她说:不管谁修建了大坝,你都能感觉到它给环境恶化带来的后果,以及影响粮食供应和社会安定。
据 道,美国政府批准了一项八年的试验项目,打算在蒙大拿州注入百万吨的二氧化碳到地下岩层。其目的是判断碳排放源,如燃煤电厂和水泥厂是否安全以及能否经济性的收集和储存。
摘自 的评论报道,非洲之角发生了50年以来最为严重的干旱,世界粮食计划署准备空头食物。但是此项措施
,却不能改变当地的经济及气候情况 ,进 而从根本上解决灾难。除了武装冲突及干旱以外 ,索马里的问题不仅包含了区域性的森林退化将近
摧毁当地传统的生物链,也包括 出租富饶的农业用地给外国的食品制造商,以及当地的农业机械和化肥商。
道,西方国家与俄国及发展中国家的关于 气候变化问题 发生争执,即气候变化是否 是一个值得联合国安理会进行关注安全问题 。在修订之前,安理会 中将气候变化弱 称为“可能的安全隐患”得到了一致同意。
,菲律宾东北部遭到暴雨和洪水的袭击,致使近50万人家园被淹,至少25人遇难。 , 在韩国,由暴雨引发的的洪水及泥石流致使至少32人死亡 报道 ,孟加拉国南部的季风雨使超过1万人流离失所,至少6人遇难,也将孟加拉湾的虾场冲毁殆尽 。
报道,侵袭美国东部及加拿大部分地区的热浪本周出现缓和迹象,破纪录的高温和湿度不但影响132万人,令部分地区旱情加剧,更造成多达34 人死亡。
的研究报告报道,本世纪末气侯变化预计会令美国的沿海地召区遭受到海水威胁,中西部地区及东部海岸遭受强烈风暴侵袭,而西部地区的水供应出现不稳定。
》报道,智力南部遭受了30年以来最为严重的降雪,在农村地区,降雪高达三米,严重破坏了当地的基本设施并且引发了国家级的安全预警。四天不停歇的降雪使约有6500人无法与外界取得联系。
道,老挝表示暂时没有计划恢复横跨湄公河的大坝,美国国务卿希拉里因此称赞老挝有先见之明。在一个会议上,她说:不管谁修建了大坝,你都能感觉到它给环境恶化带来的后果,以及影响粮食供应和社会安定。
报道,美国政府批准了一项八年的试验项目,打算在蒙大拿州注入百万吨的二氧化碳到地下岩层。其目的是判断碳排放源,如燃煤电厂和水泥厂是否安全以及能否经济性的收集和储存。
道,西方国家与俄国及发展中国家的关于 气候变化问题 发生争执,即气候变化是否 是一个值得联合国安理会进行关注安全问题 。在修订之前,安理会 中将气候变化弱 称为“可能的安全隐患”得到了一致同意。
,菲律宾东北部遭到暴雨和洪水的袭击,致使近50万人家园被淹,至少25人遇难。 , 在韩国,由暴雨引发的的洪水及泥石流致使至少32人死亡 报道 ,孟加拉国南部的季风雨使超过1万人流离失所,至少6人遇难,也将孟加拉湾的虾场冲毁殆尽 。
报道,侵袭美国东部及加拿大部分地区的热浪本周出现缓和迹象,破纪录的高温和湿度不但影响132万人,令部分地区旱情加剧,更造成多达34 人死亡。
的研究报告报道,本世纪末气侯变化预计会令美国的沿海地召区遭受到海水威胁,中西部地区及东部海岸遭受强烈风暴侵袭,而西部地区的水供应出现不稳定。
》报道,智力南部遭受了30年以来最为严重的降雪,在农村地区,降雪高达三米,严重破坏了当地的基本设施并且引发了国家级的安全预警。四天不停歇的降雪使约有6500人无法与外界取得联系。
道,老挝表示暂时没有计划恢复横跨湄公河的大坝,美国国务卿希拉里因此称赞老挝有先见之明。在一个会议上,她说:不管谁修建了大坝,你都能感觉到它给环境恶化带来的后果,以及影响粮食供应和社会安定。
报道,美国政府批准了一项八年的试验项目,打算在蒙大拿州注入百万吨的二氧化碳到地下岩层。其目的是判断碳排放源,如燃煤电厂和水泥厂是否安全以及能否经济性的收集和储存。
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