Thursday, June 27, 2019

जी 20 सम्मेलन में मोदी-ट्रंप के बीच क्या बातें होंगी?: नज़रिया

जापान में आयोजित जी 20 सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मानवीय विश्व का निर्माण करना है. ऐसे में इस बैठक के दौरान मुख्य तौर पर पर्यावरण के मुद्दे पर चर्चा होगी.
इसके साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान रवाना होने से पहले कहा था कि वो इस बैठक में महिला सशक्तिकरण और चरमपंथ के मुद्दे को भी उठाएंगे.
जी-20 सम्मेलन में मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच मुलाक़ात होगी. इन दोनों नेताओं की मुलाक़ात पर सभी का ध्यान है.
ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं, इसमें भारत भी शामिल हैं. जिसके जवाब में भारत ने भी अमरीकी उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ा दिया था.
अब अमरीकी राष्ट्रपति ने मोदी के साथ होने वाली मुलाक़ात से पहले कहा है कि भारत अमरीकी उत्पादों पर लगाए टैरिफ़ को हटा ले.
ट्रंप ने इस संबंध में ट्वीट कर लिखा है, ''मैं नरेंद्र मोदी से मिलकर टैरिफ़ के मुद्दे पर बात करूंगा, भारत ने पहले ही अमरीकी उत्पादों पर बहुत ज़्यादा टैरिफ़ लगाया हुआ था. अब उन्होंने इसे और ज़्यादा बढ़ा दिया है. यह स्वीकार्य नहीं है, भारत को यह टैरिफ़ कम करने चाहिए.''
असल में ट्रंप जब अमरीकी राष्ट्रपति के तौर पर चुनकर आए थे तो उनका एजेंडा था कि वो अमरीका को आर्थिक रूप से बहुत सशक्त बना देंगे.
ऐसे में जितने भी देशों के साथ अमरीका का घाटे का व्यापार चल रहा है, उनके साथ वो हालात सुधारने की कोशिशें कर रहे हैं.
यही वजह है कि वो पहले चीन पर टैरिफ़ बढ़ा रहे थे और अब उनकी नज़र भारत पर भी आ गई है.
जी 20 सम्मेलन में जब मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात होगी तो उसमें यही बात होगी कि मोदी ट्रंप से सीधे तौर पर कहेंगे कि अमरीका ने भारतीय उत्पादों पर जो प्रतिबंध लगाए हैं उन्हें हटा लें, इसके बाद भारत भी अमरीकी उत्पादों से टैरिफ़ हटा देगा.
असल में ट्रंप के सामने एक और चुनौती यह है कि अगले साल अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. ऐसे में ट्रंप मतदाताओं के सामने जाने से पहले उन्हें यह दर्शाना चाहते हैं कि उन्होंने अपनी अमरीका फ़र्स्ट की नीति हरएक देश के सामने लागू किया फिर चाहे वह उनका मित्र राष्ट्र हो या दुश्मन.
यही वजह है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी रिपोर्ट अमरीका में जारी हुई है. इसके अलावा ट्रंप भारत के साथ व्यापार संबंधी कठोरता दिखाकर भारत को उससे हथियार ख़रीदने के लिए भी मजबूर करना चाहेंगे.
दुनिया की दो बड़ी आर्थिक शक्तियां अमरीका और चीन के बीच पिछले लंबे समय से ट्रेड वॉर चल रहा है. दोनों ही मुल्कों ने एक दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ़ बढ़ाए हैं साथ ही कई कंपनियों पर पाबंदी भी लगा रखी है.
ऐसे में ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अगर कोई मुलाक़ात होती है तो वह ख़ासी दिलचस्प रहेगी.
हाल ही में जी20 सम्मेलन शुरू होने से कुछ दिन पहले अमरीकी के एक अधिकारी ने बयान दिया था कि ट्रंप और जिनपिंग की मुलाक़ात में दोनों देशों के बीच चल रही आर्थिक तनातनी को कम करने की कोशिशें की जाएंगी.
दरअसल यह ट्रेड वॉर का साया दोनों ही देशों को परेशान कर रहा है.
पिछले कुछ वक़्त से जिस तरह अमरीका और ईरान के बीच गर्मागरम बातचीत चल रही है उससे डर है कि कहीं एक और युद्ध ना छिड़ जाए.
ऐसे में जी 20 सम्मेलन में ईरान के मुद्दे पर भी बातचीत हो सकती है. ईरान के साथ भारत के भी गहरे आर्थिक संबंध रहे हैं. अमरीका के साथ ईरान के टकराव के चलते भारत के लिए भी एक अजीब सी स्थिति बन गई है.
भारत के बहुत से लोग ईरान और आसपास के इलाक़े में रहते हैं, काम करते हैं. अगर अमरीका और ईरान के बीच युद्ध छिड़ जाता है तो उनकी सुरक्षा की चिंता पैदा हो जाएगी. इसके अलावा तेल की क़ीमतें भी बढ़ जाएगीं जिससे अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.
इसके अलावा भारत और रूस के संबंधों पर ट्रंप मोदी के साथ बातचीत ज़रूर करेंगे.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की भारत यात्रा भी इसी का अंदेशा थी. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ पोम्पियो की बैठक में मोदी-ट्रंप की मुलाक़ात की रूपरेखा तैयार की गई.
वहीं इस बैठक में कहीं ना कहीं भारत के विदेश मंत्री ने यह साफ़ कर दिया कि राष्ट्रहित से जुड़े मसलों पर वह अमरीका के आगे नहीं छुकेगा.
भारत ने ईरान का नाम भले ही नहीं लिया लेकिन रूस से एस-400 ख़रीदने के मामले में भारतीय विदेश मंत्री ने अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट कर दी.

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